Monday, December 28, 2009

गोहत्या भारत की हत्या है--राघवेश्वर भारती

दिल्ली, 27 दिसंबर।गोहत्या भारत की हत्या है। गाय की जितनी हत्या मुगल और अंग्रेजी राज में नहीं हुई उससे अधिक हत्या आज स्वाधीन भारत में हो रही है। यह अत्यंत दुर्भाग्य का विषय है कि आज देश के सत्ताधीशों को यह बताना पड़ रहा है कि गाय आपकी माता है और इसका संरक्षण यदि नहीं किया गया तो भारत का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। शंकराचार्य आज यहां उत्तमनगर में एक विशाल सभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की कि वह गोरक्षा का केन्द्रीय कानून बनाकर देश को विनाश से बचाए। उन्होंने कहा कि इस अभियान में यदि उनका जीवन भी अर्पित हो गया तो वे इसे अपना सौभाग्य समझेंगे।
नेताजी सुभाश प्लेस पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए यात्रा के राष्टीय मार्गदर्शक श्री सीताराम केदिलाया ने कहा कि रामराज्य के लिए ग्राम राज्य का निर्माण जरूरी है। इसीलिए गांधीजी ने ग्राम रक्षा का आहवान किया था। उन्होंने कहा कि गाय आौर ग्राम देश की दो आंखें हैं और आज ये दोनों ही आंखें संकट में हैं। उन्होंने कहा कि आज विदेशी जीवन प़द्धति के कारण हमारी सोच भी विदेश केन्द्रित त हो गयी है। इस यात्रा में संतों ने तीन मंत्र दिये हैं और वे तीन मंत्र हैं --चलें गांव की ओर, चलें गाय की ओर और चलें प्रकृति की ओर।जिस प्रकार विश्वामित्र श्रीराम व लक्ष्मण को ग्राम में ले गये थे उसी प्रकार आज के वरिश्ठ संत इस यात्रा के प्रवर्तक हैं। गाय, ग्राम व प्रकृति के साथ भारत का संरक्षण और भारत के साथ पूरे विश्व का संरक्षण आवश्यक है। सुप्रसिद हिन्दी कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को झकझोर दिया।
यमुना विहार की विशाल सभा को संबोधित करते हुए यात्रा समिति के राश्ट्रीय सचिव श्री शंकरलाल ने भारतीय नस्ल की देशी गायों के कृत्रिम गर्भाधान पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि केन्द्र में गाय के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय की स्थापना की जाए, जिसके माध्यम से खेतों में गोवंश के उपयोग और जैविक खाद, उर्जा संयंत्रों आदि को बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होने बताया कि तीस सितंबर को कुरूक्षेत्र से आरम्भ होकर यह यात्रा अब तक 19,000 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है। इस दौरान हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पिश्चम बंगाल, उडीसा, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी, तमिलनाडु ,केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराश्ट्र, गुजरात और राजस्थान का प्रवास कर यात्रा ने कल सायंकाल दिल्ली में प्रवेश किया। दिल्ली में आयानगर, अन्धेरिया मोड़ और लाडोसराय में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। युवकों ने बड़ी संख्या में वाहन रैली में भाग लिया और गोमाता के जयकारों के साथ गोरथ की अगवानी की। दिल्लीवासियों ने सड़क के दोनों ओर खड़े होकर जोरदार पुष्पवर्षा की।
आज यात्रा ग्रेटर कैलाश से आरम्भ होकर त्रिलोकपुरी, यमुना विहार और पीतमपुरा में बड़ी सभाओं को संबोधित करते हुए सायंकाल उत्तम नगर पहुंची। आज दिल्ली में दो सौ से अधिक स्थानों पर यात्रा का अभूतपूर्व स्वागत किया गया।
मुख्य यात्रा का एक हिस्सा सिलिगुड़ी से अलग होकर उत्तर पूर्वांचल के राज्यों का भ्रमण कर रहा है, जिसका समापन 13 जनवरी को अरूणाचल प्रदेश के परशुराम कुण्ड पर होगा। मुख्य यात्रा का समापन 17 जनवरी, 2010 को नागपुर में होगा और 31, जनवरी, 2010 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल जनसभा के बाद देशभर से संग्रहीत करोड़ों हस्ताक्षर महामहिम राश्ट्रपति को सौंपकर देश में संपूर्ण गोवंश की हत्या पर कठोर प्रतिबंध की मांग की जाएगी।
अभी तक देशभर में दस हजार से अधिक उपयात्राओं का आयोजन हो चुका है। दिल्ली में 18 से 26 दिसंबर तक 175 उपयात्राओं का आयोजन किया गया। दिल्ली प्रांत से 26 लाख से अधिक हस्ताक्षर संग्रहीत कर संतों को सौंपे गये।
यमुना विहार की सभा को संबोधित करते हुए वरिश्ठ संत महंत नवल किशोरदास ने देशवासियों से अपील की कि वे गोरक्षा के लिए चमड़े से बनी सभी वस्तुओं का बहिश्कार करें और पंचगव्य तथा गाय से प्राप्त अन्य पदार्थों से निर्मित वस्तुओं का अपने दैनिक जीवन में उपयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक घर से गाय के लिए एक रोटी एवं एक रूपया प्रतिदिन अलग निकाला जाना चाहिए। गाय के धार्मिक महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि गाय की परिक्रमा से जहां समस्त तैतीस करोड़ देवी-देवताओं की परिक्रमा हो जाती है वहीं एक गाय की हत्या से समस्त देवताओं का अपमान होता है।

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