Monday, January 4, 2010

हिन्दू संस्कृति से ही मानवता की रक्षा संभव - डॉ. मोहनराव भागवत




प्रयाग, 03 जनवरी (विश्व संवाद केन्द्र)। राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने माघ मेला स्थित परेड ग्राउण्ड में आयोजित संघ समागम में हजारों गणवेशधारी स्वयंसेवकों व नागरिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भोगवादी, प्रकृतिविरोधी, पिश्चमी जीवन शैली को छोड़कर और हिन्दू संस्कृति को अपनाकर ही पर्यावरण एवं मानवता की रक्षा की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि यदि दुनिया के सभी देश पर्यावरण को लेकर समय रहते अगर नहीं चेता तो कुछ ही दिनों में दुनिया से मानव जीवन ही समाप्त हो जायेगा। इसका एकमात्र उपाय त्यागपूर्ण भारतीय संस्कृति से संभव है। इसलिए हम सबको प्रकृति के एक अंग होने के नाते प्रकृति से उतना ही लें जितना मूझे चाहिए। श्री भागवत ने बहती उर्जा का इस्तेमाल करने पर बल दिया और कहा कि बहती रुपी उर्जा जैसे सूर्य, नदी, जंगल, व खनिज सम्पदा का इस्तेमाल शोशण के बजाय दोहन के रुप में करें, तो सब कुछ नियंत्रित हो सकता है।

संघ प्रमुख ने कहा कि स्वयंसेवकों द्वारा एक लाख से अधिक सेवा के कार्य बिना सरकार के सहयोग से चलायें जा रहें है। इस प्रकार के कार्यो में समान जनता के सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण करना है। यदि संघ को जानना हो तो बड़ी संख्या में स्वयंसेवक बनकर जान सकते है। उन्होंने अधिक से अधिक स्वयंसेवक बनने का आह्वान किया। श्री भागवत ने कहा कि संघ का कार्य न किसी के विरोध में और नहीं ही किसी के प्रतिक्रिया में है, इसे समझने के लिए संघ की शाखा में आना जरुरी है। उन्होंने शाखा में आने का आह्वान करते हुए कहा कि आइए संघ के दरवाजे खुले हैं। जब तक इसकी कार्य प्रणाली को नहीं समझेगें, तब तक आत्मा नहीं समझ पायेंगे। संघ का काम अनुभव का है। अनुभव करके ही इसकी कार्य प्रणाली को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि संघ की नीतियां सनातन हिन्दू संस्कृति की रही हैं। जो त्याग, सहिश्णु व सर्वधर्म समभाव पर टिकी हैं। इसका कट्टरता से कोई वास्ता नहीं है। भारतीय संस्कृति कभी यह नहीं सिखाती `केवल हम सही हैं। बाकी सब गलत।´ विश्व बन्धुत्व का इससे बड़ा उदाहरण अन्य किसी संस्कृति में नहीं है।

उन्होंने कहा कि जहां हिन्दू जनसंख्या प्रभावी नहीं है वहां ‘सडयन्त्रकारी शक्तियों द्वारा देश विरोधी गतिविधियों बढ़ रही है। इन सारे समस्याओं को समाधान हिन्दुत्व में है। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतों द्वारा यह विभ्रम फैलाया जा रहा है कि हिन्दू भी आतंकवादी होता है जबकि संघ का मानना है कि हिन्दू आतंकवादी हो ही नहीं सकता है यदि कोई हो गया भी तो हिन्दू समाज उसके साथ कभी खड़ा नही हो सकता। जबतक हिन्दुत्व की विचारधारा के आधार पर देश के सभी वर्गो, समुदायों एवं जातियों को एकसूत्र में बांधा नहीं जायेगा तब तक वैभवशाली राश्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता।


उन्होंने कहा कि तथाकथित राजनेता अपनी निजि स्वार्थो के कारण जाति, पन्थ, भाशा, सम्प्रदाय व क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे है। इन नेताओं का देश की सुरक्षा व समस्या से कोई लेना देना नहीं है इनको सिर्फ कुर्सी चाहिए। तेलंगाना राज्य के मुद्दे पर कहा कि ये तुच्छ राजनीति करने वाले राजनेताओं की देन है। आज उनका कुछ नहीं बिगड़ रहा है उनके इस करतुत के कारण देश की सम्पति जल रही है। उन्होंने सन् 1952 के श्री गुरुजी के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा उनका मानना था कि भाशावाद के नाम पर राज्य का बंटवारा नहीं होेना चाहिए। आज इस प्रकार की समस्या हम सबके सामने दिख रही है।

उन्होंने कहा कि भारत की सीमाऐं चारो तरफ से असुरक्षित है। चीन अपने सामंतवादी नीति के तहत हमको चारों तरफ से घेर रहा है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लेकर कहा कि वह भारत से दुश्मनी छोड़ नहीं सकता है क्योंकि उसका जन्म ही दुश्मनी से हुयी। बांग्लादेश हमारे सैनिकों को मारता है और हमारे सीमाओं के अन्दर घुसपैठ करके अपना दावा ठोकता है। धीरे-धीरे बाग्लादेश आतंकवादियों का गढ़ बनता जा रहा है समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आने वाले समय में हमारे सामने खतरा बढ़ेगा। इसलिए जोर देकर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर भेंजने में असफल है। राजनीतिक स्वार्थो के चलते घुसपैठियों को राशन कार्ड, मतदाता सूची में नाम अंकित कर उनसे सहानुभूति जतायी जा रही है। उन्होंने इन सभी समस्याओं के पिछे सरकार की ढुलमुल नीति को जिम्मेदार ठहराया।

श्री भागवत देश की आन्तरिक समस्याओं पर बोलते हुए कहा कि नक्सलवाद, उग्रवाद सहित अन्य प्रकार की समस्या जो हमारे सामने आ रही है उसके मूल में विदेशी ताकतें है। रंगनाथ कमेटी का बिना नाम लिये बगैर कहा कि संविधान के खिलाफ दिये जा रहे आरक्षण देश को बॉटने का काम करेगा न कि जोड़ने का इसलिए इस प्रकार के आरक्षण से सरकार को बचना चाहिए।। उन्होंने कहा कि भारत में तथाकथित अल्पसंख्यकों को इतनी अधिक सुविधाऐं दी जा रही है कि देश में बहुसंख्यक होना अपराध सा हो गया है।
उद्बोधन के प्रारम्भ में स्वयंसेवक घोश की थाप पर पथसंचलन करते हुए संघ समागम स्थल पर पहुंचे। सभा में सरसंघचालक जी के आने पर स्वयंसेवकों ने सरसंघचालक प्रणाम किया। तत्पश्चात ध्वजारोहण हुआ। श्री भागवत के उद्बोधन के पूर्व स्वयंसेवकों ने सूर्य नमस्कार, दण्ड, नियुद्ध आदि का प्रदर्सन किया।
इस संघ समागम में प्रमुख रुप से विहिप के अन्तर्राश्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल, पूर्व मानवसंसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी, पूर्व मंत्री डॉ नरेन्द्र सिंह गौर, लखनउ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं संघ के सह क्षेत्र संघचालक प्रो. देवेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रान्त संघचालक प्रो. कृश्ण बिहारी पाण्डेय, क्षेत्र प्रचारक अशोक बेरी, क्षेत्र कार्यवाह राम कुमार वर्मा, विद्याभारती के क्षेत्र संगठन मंत्री िशवकुमार, एंव प्रान्त प्रचारक िशवनाराण सहित अन्य स्वयंसेवक व कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रान्त शारीरिक िशक्षण प्रमुख रत्नाकार एवं अतिथियों का परिचय प्रान्त कार्यवाह डॉ विश्वनाथ लाल निगम ने किया।

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